अखिल भारतीय मानव अधिकार एसोसिएशन आह्वान करती है कि आओ हम सब मिलकर एक ऐसे समाज का निर्माण करें जो भारत के प्रत्येक नागरिक को भारतीय संविधान में प्रदत्त मूल अधिकारों एवं कर्तव्यों की जानकारी देकर उसमें अपने वैधानिक अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति विधिक जागरूकता का संचार कर सकें।
विधिक जागरूकता (Legal Awareness) से आशय जनता को कानून से संबंधित सामान्य बातों से परिचित कराकर जागरूक करना है। कानून सक्षम है आपको न्याय दिलाने में, जरूरत है आपको अपने अधिकारों के प्रति विधिक रूप से जागरूक होने की।
मानव अधिकार विश्व भर में मान्य व्यक्तियों के वे अधिकार हैं जो उनके पूर्ण शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए अति आवश्यक हैं। इन अधिकारों का उदभव मानव की अंतर्निहित गरिमा से हुआ है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12-35 मौलिक अधिकारों से संबंधित हैं। ये मानवाधिकार भारत के नागरिकों को प्रदत्त हैं और संविधान बताता है कि ये अधिकार अनुल्लंघनीय हैं। भारतीय संविधान में छह मौलिक अधिकार हैं। उनसे संबंधित संवैधानिक अनुच्छेदों के साथ उनका उल्लेख नीचे दिया गया है-
समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अधिकार (अनुच्छेद 29-30)
संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
विधिक जागरूकता (Legal Awareness) से आशय जनता को कानून से संबंधित सामान्य बातों से परिचित कराकर जागरूक करना है। कानून सक्षम है आपको न्याय दिलाने में, जरूरत है आपको अपने अधिकारों के प्रति विधिक रूप से जागरूक होने की।
आम नागरिक जानकारी के अभाव में अपने वैधानिक अधिकारों से वंचित होते है, वहीं रोजमर्रा के जीवन में छोटे छोटे नियमों व कानून की जानकारी के अभाव में कई बार कानूनी कार्यवाही या मुकदमें बाजी में भी फॅस जाते है। कानून हर जगह, हर व्यक्ति पर लागू होता है। कानून जटिल है, उपयोग करने में कठिन है और समझने में चुनौतीपूर्ण है।
हमारा उदेश्य है कि विधिक जागरूकता से नागरिकों को उनके विधिक अधिकारों के साथ उनके दायित्वों की जानकारी दे जिससे वह अनावश्यक परेशानी से बचने के साथ ही अपने मानवाधिकारों का भी संरक्षण कर सके।