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अखिल भारतीय मानव-अधिकार एसोसिएशन

गुरबाज सिंह, अध्यक्ष

अखिल भारतीय मानव अधिकार एसोसिएशन आह्वान करती है कि आओ हम सब मिलकर एक ऐसे समाज का निर्माण करें जो भारत के प्रत्येक नागरिक को भारतीय संविधान में प्रदत्त मूल अधिकारों एवं कर्तव्यों की जानकारी देकर उसमें अपने वैधानिक अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति विधिक जागरूकता का संचार कर सकें।

विधिक जागरूकता (Legal Awareness) से आशय जनता को कानून से संबंधित सामान्य बातों से परिचित कराकर जागरूक करना है। कानून सक्षम है आपको न्याय दिलाने में, जरूरत है आपको अपने अधिकारों के प्रति विधिक रूप से जागरूक होने की।

मानव अधिकार विश्व भर में मान्य व्यक्तियों के वे अधिकार हैं जो उनके पूर्ण शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए अति आवश्यक हैं। इन अधिकारों का उदभव मानव की अंतर्निहित गरिमा से हुआ है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12-35 मौलिक अधिकारों से संबंधित हैं। ये मानवाधिकार भारत के नागरिकों को प्रदत्त हैं और संविधान बताता है कि ये अधिकार अनुल्लंघनीय हैं। भारतीय संविधान में छह मौलिक अधिकार हैं। उनसे संबंधित संवैधानिक अनुच्छेदों के साथ उनका उल्लेख नीचे दिया गया है-

समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अधिकार (अनुच्छेद 29-30)
संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)

विधिक जागरूकता (Legal Awareness) से आशय जनता को कानून से संबंधित सामान्य बातों से परिचित कराकर जागरूक करना है। कानून सक्षम है आपको न्याय दिलाने में, जरूरत है आपको अपने अधिकारों के प्रति विधिक रूप से जागरूक होने की।

आम नागरिक जानकारी के अभाव में अपने वैधानिक अधिकारों से वंचित होते है, वहीं रोजमर्रा के जीवन में छोटे छोटे नियमों व कानून की जानकारी के अभाव में कई बार कानूनी कार्यवाही या मुकदमें बाजी में भी फॅस जाते है। कानून हर जगह, हर व्यक्ति पर लागू होता है। कानून जटिल है, उपयोग करने में कठिन है और समझने में चुनौतीपूर्ण है।

हमारा उदेश्य है कि विधिक जागरूकता से नागरिकों को उनके विधिक अधिकारों के साथ उनके दायित्वों की जानकारी दे जिससे वह अनावश्यक परेशानी से बचने के साथ ही अपने मानवाधिकारों का भी संरक्षण कर सके।

Executive Member

मानव-अधिकार एसोसिएशन के उद्देश्य

1-विधिक जागरूकता (Legal Awareness)

  • भारतीय संविधान में प्रदत्त नागरिकों के मूल अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति एवं विभिन्न कानूनों का पालन कर मानवाधिकारों के संरक्षण व विधिक जागरूकता के सद्भावना पूर्वक उद्देश्य से कार्य करना।

2-समाज में उत्पीड़न, शोषण, भ्रष्टाचार, अपराध एवं अन्याय से पीड़ित नागरिकों के मानवाधिकारों के उल्लंघन का पता लगाकर उन्हें जन साधारण एवं प्रशासन के ध्यान में लाना।

3-समाज में बालश्रम, बाल विवाह, जातिगत भेदभाव आदि की व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने के लिए लोगों को जागरूक करना।

4-शिक्षा, नशा उन्मूलन, पर्यावरण सरंक्षण, मानवाधिकार संरक्षण के प्रचार-प्रसार के लिए प्रकाशनों, संगोष्ठियों एवं शिविरों द्वारा सम्पूर्ण जानकारी देकर जागरूकता लाना।

5-वृद्धों, विकलांगों, विधवाओं, अनाथ, असहाय, निर्धन एवं जरूरतमंद लोगों का सहयोग करना।

Senior Members

मानव-अधिकार एसोसिएशन की मांगे

1- मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 30 के अनुसार सभी जिलों में मानवाधिकार न्यायालयों का गठन किया जाये।

2- विभागीय अनियमित्ताओं एवं भ्रष्टाचार पर रोक के लिए राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति की जाये।

3- माननीय उच्चत्तम न्यायालय द्वारा सात वर्ष तक की सजा वाले मुकदमों में तत्काल गिरफ्तारी न करने के आदेश का अक्षरता एवं पूर्णतः अनुपालन कराया जायें।

4- गिरफ्तार व्यक्तियों को न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना हथकड़ी न लगाने सम्बन्धी माननीय उच्चत्तम न्यायालय के आदेशों का अनुपालन कराया जाये।

5- प्राईवेट स्कूलों में NCERT (National Council of Education Research and Training) की किताबें अनिवार्यता से लागू कराई जायें।

Our Members

भारतीय कानून

टिप्पणियाँ और विचार

मानवाधिकारों का समर्थन करना हम सभी का कर्तव्य है। समाज में समानता और न्याय की भावना से ही हम सब मिलकर एक सशक्त, समृद्ध, और समर्पित समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
एम.पी. तिवारी एडवोकेट
मानवाधिकारों का मुख्य उद्देश्य शांति और सुरक्षा स्थापित करना है। कानून के सामने हर किसी को, हर जगह बिना भेदभाव के समान कानूनी सुरक्षा का अधिकार प्राप्त हैं। मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए अभी जागरूक नागरिकों को आगे आना चाहिए।
दिवाकर पांडेय एडवोकेट
मानवाधिकार हमारी समृद्धि की मुख्य आधारशिला हैं जो समानता, न्याय और मानवता की रक्षा करती है। वकील के रूप में, मैं कानून की दृष्टि से इस मूल्यवान सिद्धांत का पक्षधर हूँ और न्याय और कानून का समर्थन करता हूँ।
एस.के. त्रिपाठी एडवोकेट
प्रत्येक नागरिक गरिमा और अधिकार के मामले में स्वतंत्र और बराबर हैं। सभी मनुष्यों को गौरव और अधिकारों के मामले में जन्मजात स्वतंत्रता और समानता प्राप्त है। आम नागरिकों को भारतीय संविधान में प्राप्त मौलिक अधिकारों के प्रति जागरूक करने की पहल सराहनीय प्रयास है।
कमल श्रीवास्तव (पत्रकार)
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